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Friday, September 14, 2018

चल चलें

ए जिंदगी
चल जरा दूर चलते हैं
इन दीवारों की चाह से
देवदारों के छाँव के बीच

जहाँ नालों का जंजाल न हो
कुछ कल कल करती नदियां हों
अनिश्चित शोर कोलाहल न हो
बस कुछ कलरव की ध्वनियां हों

मुद्दतें गुज़रीं
यही सोचते हुए
देवदार कट गए
राह तकते हुए

कुछ वादे पुराने
अभी भी रिझाते हैं
पहाड़ों पर लटके हुए फूल
मुझे अब भी बुलाते हैं

जब शहरों के जंगल
उन तक बढ़ते जाते हैं
तो सपने पुराने और याद आते हैं

Friday, June 15, 2018

बड़े बुजुर्ग

ये दादी नानी
बड़े बुजुर्ग
किस्से कहानियों
में बहुत याद आएंगे
नए सब काम काज
में व्यस्त होंगे
और ये लोग
चुपके से निकल जाएंगे।

पर "निकलना
सभी को है..."
जो बड़े बुजुर्ग हैं अभी
वो हमको समझायेंगे
"हँसके याद करना उन्हें
जो चिर अनंत में लीन हुए
तुम्हे हँसता देख
वो तारे बनकर टिमटिमाएंगे"
ये सारे बड़े बुजुर्ग
ये बातें भी ज़रूर बताएंगे।

ये बड़े बुजुर्ग
बहुत कुछ समझायेंगे
ये भी शास्वत सत्य है
और भी बहुत कुछ
पर नए लोगों
हम कहीं व्यस्त होंगे
और ये बुजुर्ग
चुपके से निकल जाएंगे।
🙏🙏🙏