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Thursday, April 9, 2020

हम

यह जानकर बहुत कौतूहलपूर्ण लगता है कि चाँद एक गेंद है , और जिस धरती पर हम खड़े हैं वो भी एक गेंद है। हमारा ब्रह्माण्ड ऐसे विस्मयों से भरा हुआ है और पृथ्वी और चन्द्रमा का गोल होना इस ब्रह्माण्ड की सबसे सरल बात है।
 एक और सरल बात यह है कि चँद्रमा पर  मानव सभ्यता जो पदचिन्ह छोड़ कर आयी है वो मानव जीवन काल और  उसके बाद भी वहां यथारूप ही दिखाई पड़ेंगे। चाँद पर  हवा पानी और किसीप्रकार के वातावरण का ना होना इसकी वजह है।
पर पिछले १० दिनों के लॉकडॉन   को देखकर यूँ लग रहा है कि पृथ्वी पर से मानव के चिन्ह हटाने में प्रकृति को ज्यादा समय नहीं लगेगा, कुछ ही दिनों में वातावरण शुद्ध हो गया है नदियों का प्रवाह अविरल और जल स्वच्छ  हो गया है, जंगली जीव जंतुओं ने हमारे शहरों को भी अपने दायरे में लेना शुरू कर चुके है।
मुझे नहीं पता कि इस लॉकडॉन के आगे क्या परिणाम होंगे पर प्रकृति की सुंदरता का  घर बैठे आनंद लेना अविस्मरणीय रहेगा।
 आशा करता हूँ कि जल्द ही जनजीवन सामान्य हो जायेगा पर और भी अच्छा होगा अगर हम मानव सभ्यता के कुछ पदचिन्ह छोड़ पाएं जो आगे आने वाली सभ्यता को हमारा शुभ सन्देश दे सके।

Friday, September 14, 2018

चल चलें

ए जिंदगी
चल जरा दूर चलते हैं
इन दीवारों की चाह से
देवदारों के छाँव के बीच

जहाँ नालों का जंजाल न हो
कुछ कल कल करती नदियां हों
अनिश्चित शोर कोलाहल न हो
बस कुछ कलरव की ध्वनियां हों

मुद्दतें गुज़रीं
यही सोचते हुए
देवदार कट गए
राह तकते हुए

कुछ वादे पुराने
अभी भी रिझाते हैं
पहाड़ों पर लटके हुए फूल
मुझे अब भी बुलाते हैं

जब शहरों के जंगल
उन तक बढ़ते जाते हैं
तो सपने पुराने और याद आते हैं

Friday, June 15, 2018

बड़े बुजुर्ग

ये दादी नानी
बड़े बुजुर्ग
किस्से कहानियों
में बहुत याद आएंगे
नए सब काम काज
में व्यस्त होंगे
और ये लोग
चुपके से निकल जाएंगे।

पर "निकलना
सभी को है..."
जो बड़े बुजुर्ग हैं अभी
वो हमको समझायेंगे
"हँसके याद करना उन्हें
जो चिर अनंत में लीन हुए
तुम्हे हँसता देख
वो तारे बनकर टिमटिमाएंगे"
ये सारे बड़े बुजुर्ग
ये बातें भी ज़रूर बताएंगे।

ये बड़े बुजुर्ग
बहुत कुछ समझायेंगे
ये भी शास्वत सत्य है
और भी बहुत कुछ
पर नए लोगों
हम कहीं व्यस्त होंगे
और ये बुजुर्ग
चुपके से निकल जाएंगे।
🙏🙏🙏

Sunday, April 16, 2017

मैं लिखूंगा

मैं लिखूँ या ना लिखूँ
जब सोचता हूँ
तो