एक और सरल बात यह है कि चँद्रमा पर मानव सभ्यता जो पदचिन्ह छोड़ कर आयी है वो मानव जीवन काल और उसके बाद भी वहां यथारूप ही दिखाई पड़ेंगे। चाँद पर हवा पानी और किसीप्रकार के वातावरण का ना होना इसकी वजह है।
पर पिछले १० दिनों के लॉकडॉन को देखकर यूँ लग रहा है कि पृथ्वी पर से मानव के चिन्ह हटाने में प्रकृति को ज्यादा समय नहीं लगेगा, कुछ ही दिनों में वातावरण शुद्ध हो गया है नदियों का प्रवाह अविरल और जल स्वच्छ हो गया है, जंगली जीव जंतुओं ने हमारे शहरों को भी अपने दायरे में लेना शुरू कर चुके है।
मुझे नहीं पता कि इस लॉकडॉन के आगे क्या परिणाम होंगे पर प्रकृति की सुंदरता का घर बैठे आनंद लेना अविस्मरणीय रहेगा।
आशा करता हूँ कि जल्द ही जनजीवन सामान्य हो जायेगा पर और भी अच्छा होगा अगर हम मानव सभ्यता के कुछ पदचिन्ह छोड़ पाएं जो आगे आने वाली सभ्यता को हमारा शुभ सन्देश दे सके।