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Sunday, April 16, 2017

मैं लिखूंगा

मैं लिखूँ या ना लिखूँ
जब सोचता हूँ
तो

Wednesday, March 8, 2017

नारी

किसी ने मुझसे कहा
कि नारी को करो परिभाषित
नारी ही सृष्टि
नारी ही शक्ति और
नारी ही सत्य

नारी ही कोमलता की परिभाषा
और नारी ही कठोरता की पराकाष्ठा

भक्ति सी सरल
योग सी उपयोगी
तपस्या सी पावन

ना कोई है जिसे आदि का बोध हो
ना किसी को होगा अंत का आभास
सृष्टि की जननी है नारी
ना रह जायेगी तभी होगा
आदि का अंत
हो जायेगा सृष्टि का विनाश।

पर यूँ ही शब्दों के जाल में नारी को मत बुनो
वो भी इंसान है
उन्हें भी जन्म लेने दो
पलने दो , पढ़ने दो, आगे बढ़ने दो
सृष्टि की सृजना को भी दो
सृजित होने का अधिकार
नारी के हर रूप को दो
आदर और सच्चा प्यार।

Happy Women's day 🎊👏🎁

Monday, January 30, 2017

धैर्य

सौम्या का धैर्य देख मुझे अपनी माँ से और प्यार हो गया।
माँ किसको कहते हैं
इसको महसूस किया है मैंने
और माँ को क्यों पूजते हैं
इसको भी जान लिया है मैंने

कितने धैर्य से सहेजती है नारी
अपने मातृत्व के पल

कुछ यूँ ही जैसे
सूर्य की एक किरण
हर लेती है सारा अंधकार
वैसे ही एक किलकारी में
भूल जाती है माँ अपने
सारे संताप

जीवन में चाहने वाले मिलेंगे अनेक
उन सब में माँ का प्यार है सर्वश्रेष्ठ

मेरी माँ का मेरी नानी की प्रति प्यार देखा है मैंने
बिटौनी की आवाज़ पर माँ को सेवा में तैनात देखा है मैंने
और नानी के जाते ही माँ को एक दम से बूढ़ा होते देखा है मैंने

ना जाने वो कौन सी जीवनी शक्ति है कि माँ के होते बच्चे कभी बूढ़े नहीं होते

आज नज़दीक से इस प्रेम सूत्र को देख पाया हूँ
सभी माँओं को शत शत नमन 💐💐💐


Monday, January 2, 2017

गौरैया

ताशकन्द की गलियों में
जानी पहचानी आवाज़ सुनी
जो निकला होटल से बाहर
सीधे तुमपर नज़र पड़ी

याद आ गयी बचपन की
जब आँगन में तुम आती थी
बचपन में माँ तुम्हे दिखाकर
मेरा दिल बहलाती थी

जब बड़ा हुआ तब भी तुम
मेरे आकर्षण का केंद्र रही
तुम्हारी मनोहारी छवि
मेरी स्मृति में बनी रही

जब नहीं दिखी तुम दिल्ली में
तो मन मेरा कुछ उदास हुआ
पर देख तुम्हे ताशकन्द में
मेरे मन को सुखद एहसास हुआ

तुम रहो सदा इस धरती पर
अपने कलरव को स्वर देती रहो
और अपने उपस्थिति से
मानव का ह्रदय हरती रहो
फिर दिल्ली हो या ताशकन्द
बस कहीं न कहीं मिलती रहो

#गौरैया

अकेला आदमी

भीड़ में कितना अकेला है आदमी
हाँ ..
फिर भी मुस्कुरा रहा है आदमी
पर ..
कभी तस्वीरों को ध्यान से देखो
तो दिखेगा..
मेडल लिए खुद की सेल्फी लेता
तो कभी
चाय अकेले पीता और मुस्कुराता
(चाय अमूमन कटिंग में ही मज़ा देती है जब एक की दो करके पी जाए)
फिर भी हँसी ख़ुशी
अकेलेपन की खूबियां गिनाता... आदमी🚶

🚶कुछ सोचता और धूल को पैरों से उड़ाता ...आदमी

मोबाइल पर
लैपटॉप पर
आईपॉड पर
बुलेट पर
कार पर
हवाईजहाज़ पर

पहाड़ों पर
रोड पर
सागर किनारे
पेड़ों तले
चाँद पर
सितारों पर